शत्रु संपत्तियों पर प्रशासन सख्त
सदर तहसील में सबसे अधिक 120 संपत्तियां, निगम की सुस्ती चुनौती, लंबित न्यायिक मामलों पर मार्गदर्शन लिया गया, कोर्ट के आदेशों का पालन, उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को चेतावनी, अब निगम की ढिलाई बर्दाश्त नहीं
➡️ जिला प्रशासन ने शत्रु संपत्तियों पर मोर्चा तेज किया
➡️ नगर निगम की लापरवाही बनी सबसे बड़ी बाधा
➡️ सदर तहसील में सबसे अधिक 120 संपत्तियां चिन्हित
➡️ 50 से अधिक संपत्तियों पर निगम की कार्रवाई अधूरी
➡️ एडीएम सिटी सौरभ दूबे ने निगम को चेतावनी दी
➡️ न्यायालय में लंबित मामलों पर लखनऊ से मार्गदर्शन लिया गया
➡️ उच्चस्तरीय बैठक में ढिलाई पर सख्त चेतावनी
➡️ जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी
➡️ कब्जा मुक्त न होने पर एफआईआर और राजस्व वसूली की तैयारी
➡️ योगी सरकार के सख्त निर्देशों पर जिला प्रशासन सक्रिय
50 से अधिक संपत्तियों का चिन्हीकरण, कब्जा मुक्त कराने और एफआईआर में तेजी
जन माध्यम
बरेली। जिला प्रशासन ने शत्रु संपत्तियों पर अपना मोर्चा और तेज कर दिया है। शत्रु संपत्तियों के चिन्हीकरण, कब्जा मुक्त कराने और एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया अब पूरी गति से लागू की जाएगी। लेकिन इस अभियान में सबसे बड़ी बाधा बनकर सामने आया है नगर निगम का लापरवाह रवैया। जिले में कुल 212 शत्रु संपत्तियां दर्ज हैं। इनमें से 151 संपत्तियों के वेस्टिंग ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं, जबकि 132 संपत्तियों का अमलदरामद शत्रु संपत्ति अभिरक्षक, भारत सरकार के नाम दर्ज कर दिया गया है। यानी अधिकांश संपत्तियों पर प्रशासन की कार्रवाई सही दिशा में है। लेकिन 50 से अधिक संपत्तियों पर नगर निगम की सुस्ती और लापरवाही ने इस अभियान की रफ्तार रोक दी है।
29 सितंबर को जिला प्रशासन ने निगम को स्पष्ट आदेशों के साथ इन 50 से अधिक संपत्तियों की सूची जारी की। निर्देश था कि चिन्हीकरण करें, लोकेशन फाइनल करें और कब्जा मुक्त कराने की कार्रवाई प्रारंभ करें। लेकिन निगम ने न तो कोई टीम बनाई और न ही किसी संपत्ति का लोकेशन तय किया। प्रभारी अधिकारी एडीएम सिटी सौरभ दूबे द्वारा भेजे गए पत्रों को भी निगम ने अनदेखा कर दिया।
जिले की तहसीलों में शत्रु संपत्तियों का वितरण इस प्रकार,सदर 120 संपत्तियां,आंवला 72 संपत्तियां, बहेड़ी 12 संपत्तियां,फरीदपुर 4 संपत्तियां,नवाबगंज 4 संपत्तियां,
मीरगंज 0,सदर तहसील में 120 संपत्तियों में अधिकांश शहर की आबादी में आती हैं। इसी कारण नगर निगम की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बावजूद इसके, निगम की ढिलाई और लापरवाही यहां सबसे स्पष्ट नजर आ रही है। कुछ संपत्तियों पर न्यायालयों में मामला लंबित है। बहेड़ी क्षेत्र की चार संपत्तियां विशेष रूप से बेनीपुर चौधरी गाँव से संबंधित हैं।
राजस्व परिषद में प्रकरण लंबित होने के कारण लखनऊ कार्यालय से मार्गदर्शन लिया गया। इसके अलावा, 19 संपत्तियों में से 18 पर शत्रु संपत्ति अभिरक्षक से दिशा निर्देश मांगे गए हैं। उच्च न्यायालय या अन्य न्यायालयों में विवाद लंबित होने वाली संपत्तियों का पूरा विवरण जिला प्रशासन ने निगम और संबंधित अधिकारियों को भेज दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोर्ट मामलों में भी किसी प्रकार की बाधा से काम न रुके और चिन्हीकरण प्रक्रिया में देरी न हो।
हाल ही में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों को संदेश दिया गया कि अब निगम की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बैठक में एडीएम सिटी सौरभ दूबे, रजिस्ट्रार, पीडब्ल्यूडी इंजीनियर, तहसीलदार और शत्रु संपत्ति सर्वेक्षक प्रभात कुमार दुबे सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि चिन्हीकरण न होने पर जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय होगी। कब्जा होने पर पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाया जाएगा। अतिक्रमणकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी और राजस्व वसूली की कार्रवाई भी तत्काल प्रभाव से की जाएगी। साथ ही शत्रु संपत्ति अभिरक्षक के नाम अमलदरामद की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाएगी।
नगर निगम की सुस्ती और अनदेखी का सबसे अधिक असर सीधे जनता पर पड़ता है। शहर की आबादी वाले क्षेत्रों में शत्रु संपत्तियों का कब्जा लंबे समय तक रहने से आम लोगों की संपत्ति और रहन-सहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।सदर तहसील की 120 संपत्तियों में अधिकांश आबादी वाले क्षेत्र में होने के कारण यहां नगर निगम की जिम्मेदारी अत्यंत संवेदनशील मानी जा रही है। अधिकारियों की ठिठकन और आदेशों की अनदेखी ने प्रशासन की तेज़ रफ्तार को भी धीमा कर दिया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि निगम अपनी जिम्मेदारी निभाने में कितनी तत्परता दिखाता है।
योगी सरकार के सख्त तेवरों और शासन के निर्देशों के चलते जिला प्रशासन पूरी तत्परता के साथ अभियान चला रहा है। यह अभियान केवल शत्रु संपत्तियों के चिन्हीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि कब्जा मुक्त कराने, अतिक्रमण हटाने और एफआईआर दर्ज कराने तक विस्तारित है।अधिकारियों का मानना है कि इस अभियान में निगम की भागीदारी अनिवार्य है। निगम यदि लापरवाही करता है तो कार्रवाई के तहत जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कठोर कदम उठाया जाएगा।
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